Acharya Vidyasagar Biography in Hindi: जीवन में कई ऐसे रूप हैं जो हमें आत्मा की उच्चता की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, और एक ऐसा नाम है जो भारतीय समाज में एक प्रकार के आध्यात्मिक सूरज की भूमिका निभा रहा है – वह है “आचार्य विद्यासागर महाराज“।
Acharya Vidyasagar Biography in Hindi
आचार्य विद्यासागर जी का बचपन और परिवार:
उनका जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सदलगा नामक स्थान में हुआ था। आचार्य विद्यासागर जी के पिताजी का नाम श्री मल्लप्पा था, जो बाद में मुनि मल्लीसागर बने, और माता का नाम श्रीमंती था, जो बाद में आर्यिका समयमती बनीं। उनके चार भाई और दो बहनें भी थीं, जिनमें उनके बड़े भाई आज भी एक उत्कृष्ट मुनि हैं।
आचार्य विद्यासागर जी का धर्म और साधना का पथ:
जीवन की इस यात्रा में, आचार्य विद्यासागर जी ने बहुत जल्दी से सांसारिक जीवन को त्याग कर, 21 साल की आयु में राजस्थान के अजमेर जिले में दीक्षा लेने का निर्णय लिया। उन्होंने जैन धर्म के शास्त्रों को अपने जीवन में बहुत ज्यादा अपने करीब रखा और धार्मिक प्रवचनों में लोगों को आत्मिक पूर्णता की दिशा में प्रेरित किया।
आचार्य विद्यासागर जी का उपदेश और प्रेरणा:
उनके उपदेशों में एक अद्वितीय सामंजस्य था जो आम आदमी तक पहुंचता था। उन्होंने योग, ध्यान, और सेवा के माध्यम से आत्मा को पहचानने की महत्वपूर्णता बताई और लोगों को सच्चे धर्म की ओर प्रवृत्त किया। उनके उपदेशों में आदर्शवाद, समर्पण, और सजीव सत्ता की महत्वपूर्ण बातें थीं जो लोगों को जीवन को एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने के लिए प्रेरित करती थीं।
आचार्य विद्यासागर जी के ग्रंथ और साहित्य:
आचार्य विद्यासागर महाराज ने संस्कृत, प्राकृत और आधुनिक भाषाओं में कई व्यावहारिक कविताएं और आध्यात्मिक ग्रंथ रचना की। उनके ग्रंथों में जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा अध्ययन किया गया है और उनकी रचनाएं आज भी लोगों को आत्मिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं।
आचार्य विद्यासागर जी समाज सुधारक:
आचार्य विद्यासागर महाराज ने अपने जीवन के दौरान समाज में सुधार के क्षेत्र में भी अपना योगदान दिया। उन्होंने शिक्षा, ब्राह्मण विवाह, सती प्रथा, और अनेक सामाजिक अनैतिकताओं के खिलाफ उठे और समाज को नैतिक मूल्यों की ओर प्रवृत्त किया। उनके द्वारा संचालित शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित स्कूल आज भी उनकी विचारशीलता को आगे बढ़ाते हैं और छात्रों को नैतिक मूल्यों के साथ शिक्षा प्रदान करते हैं।
आचार्य विद्यासागर जी की समाधि:
आचार्य विद्यासागर महाराज जी का निधन, 18 फरवरी 2024 को डोंगरगढ़ जिले के चंद्रगिरी स्थित जैन तीर्थ में हुआ। उनका समाधि लेना एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसने उनके शिष्यों और भक्तों को गहरे शोक में डाल दिया।
आचार्य विद्यासागर महाराज जी ने अपने आखिरी क्षणों में पंच तत्वों में विलीन होते हुए आत्मसमर्पण का पर्व किया। उनका समाधिगमन राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी में हुआ, जहां उन्होंने 17 फरवरी को रात्रि 2:35 बजे अपने शरीर का त्याग किया।
आचार्य विद्यासागर महाराज जी ने अपने आध्यात्मिक साधना के दौरान अखंड मौन धारण और 3 दिनों तक उपवास की तपस्या की, जो एक अद्भुत प्रदर्शन था। इसके बाद, उन्होंने प्राण त्यागकर समाधि में प्रवेश किया, जिससे उनकी आत्मा अनंत शान्ति की दिशा में प्रस्थान कर गई।
आचार्य विद्यासागर महाराज जी का यह विशेष आयोजन हमें उनके उदाहरणीय जीवन, त्याग, और आध्यात्मिक साधना से प्रेरित करता है। उनका संदेश है कि सत्य, धर्म, और सेवा के माध्यम से ही सच्चा आत्मतत्त्व प्राप्त हो सकता है, और यह सबकुछ मानवता के उत्कृष्टतम हित में किया जाना चाहिए।
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